बेंगलूर, 27 जनवरी :भाषा: देश में एक तरफ बीटी :आनुवांशिक रूप से परिवर्तित: बैंगन का विरोध हो रहा है, वहीं दूसरी तरफ जैव.तकनीकी वैज्ञानिकांे के एक संघ ने सरकार से इसके वाणिज्यिक उत्पादन को बिना विलंब मंजूरी देने की मांग की है। संघ का कहना है कि बीटी बैंगन की वाणिज्यिक खेती किसानांे और ग्राहकांे के लिए फायदेमंद साबित होगी।
फाउंडेशन आफ बायोटेक्नोलाजी एवेयरनेस एंड एजुकेशन :एफबीएई: के कार्यकारी सचिव प्रो. सी कामेश्वर राव ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘यदि बीटी बैंगन के वाणिज्यिक उत्पादन को मंजूरी नहीं दी जाती है, तो इससे इसकी चोरी-छिपे खेती को बढ़ावा मिलेगा, जैसा कि गुजरात में बीटी बैंगन के मामले में हुआ था। यह देश हित में नहीं होगा।’’ एफबीएई ने इस बारे में वन एवं पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश को भी पत्र लिखा है। पत्र में कहा गया है कि 2000 से 2009 के दौरान बीटी बैंगन भारतीय नियमन व्यवस्था के तहत कई कृषि और जैव सुरक्षा प्रावधानांे से गुजरा है। इस पूरी प्रक्रिया में सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के संस्थानांे के 200 वैज्ञानिक और विशेषज्ञ शामिल रहे हैं।